High-Value Cash Transactions: अगर आप भी अब तक यही सोचते थे कि कैश सिर्फ छोटे दुकानदारों या प्रॉपर्टी डीलिंग तक सीमित है, तो यह खबर आपके होश उड़ा सकती है। डिजिटल पेमेंट्स के दौर में भी भारत में कैश का जलवा कायम है लेकिन अब यही नकद लेन-देन आपको भारी पड़ सकता है।
इनकम टैक्स विभाग अब ऐसे लेन-देन पर बारीकी से नजर रख रहा है। अगर आपने एक वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख से ज्यादा नकद अपने सेविंग्स अकाउंट में जमा कर दिया है, तो आपका ये ट्रांजेक्शन अब ऑटोमैटिकली इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर आ चुका है।
हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन पर इनकम टैक्स की नजर
बैंकों को नियमों के तहत ऐसे हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन की जानकारी इनकम टैक्स विभाग को देना अनिवार्य है। यह रिपोर्टिंग Rule 114E के तहत होती है और सीधे Form 26AS और Annual Information Statement (AIS) में दिखाई देती है। यानी आप कुछ छुपाना भी चाहें, तो सिस्टम पहले से ही सब कुछ देख रहा होता है।
क्या होता है जब आप लिमिट पार करते हैं?
- अगर आपने सालभर में ₹10 लाख या उससे अधिक कैश सेविंग्स अकाउंट में जमा किया
- या ₹50 लाख से अधिक करंट अकाउंट में जमा किया
तो बैंक यह सूचना “Specified Financial Transactions (SFT)” के तहत भेज देता है।
इस जानकारी के आधार पर इनकम टैक्स विभाग आपकी घोषित आय (Declared Income) और बैंक लेन-देन का मिलान करता है। अगर दोनों में अंतर पाया गया, तो आपको नोटिस मिल सकता है।
क्या हो सकता है अंजाम?
- जुर्माना और ब्याज
- अकाउंट की जांच (Scrutiny Assessment)
- इनकम को “Unexplained” मानकर 60% टैक्स + सरचार्ज
- गंभीर मामलों में टैक्स चोरी का केस और अभियोजन
उदाहरण:
मान लीजिए आप एक छोटे व्यापारी हैं और साल में ₹15 लाख नकद जमा करते हैं, लेकिन अपनी आय ₹5 लाख बताते हैं। ऐसी स्थिति में टैक्स विभाग इस ₹10 लाख को अघोषित आय (Unexplained Income) मान सकता है और भारी टैक्स वसूली कर सकता है।
डॉक्यूमेंट नहीं रखना
कई लोग सोचते हैं कि टैक्स-फ्री इनकम जैसे खेती की कमाई, गिफ्ट या घरेलू सेविंग्स को साबित करने की जरूरत नहीं होती लेकिन यही सोच आपको नोटिस की तरफ ले जा सकती है।
इन चीज़ों की हमेशा ज़रूरत पड़ती है:
- कैश का स्रोत दिखाने वाले बिल, एग्रीमेंट या गिफ्ट डीड
- ट्रांजेक्शन की डिजिटल या लिखित रसीद
- आय के हिसाब से जमा रकम का तालमेल
- ITR में दी गई जानकारी का Form 26AS और AIS से मिलान
अब PAN से नहीं बच सकते आप!
कुछ लोग समझते हैं कि अलग-अलग खातों में कैश जमा कर बचा जा सकता है लेकिन अब ऐसा मुमकिन नहीं। आजकल PAN कार्ड से सभी बैंक अकाउंट्स, प्रॉपर्टी, निवेश और UPI तक लिंक हैं। यानी अगर आपने सोच रखा है कि ₹5-5 लाख अलग-अलग अकाउंट में डालकर बच जाएंगे, तो सिस्टम उस जोड़ को पहले ही पकड़ लेता है।
सामान्य गलतियां जो बना देती हैं टैक्स डिपार्टमेंट का शिकार
- बैंक अकाउंट को PAN से लिंक न करना
- ट्रांजेक्शन के लिए कोई दस्तावेज न रखना
- साल के अंत में AIS या Form 26AS से मिलान नहीं करना
- फाइलिंग से पहले सही ITR फॉर्म और जानकारी न भरना
- “कैश आया कहां से?” इस सवाल का जवाब न होना
निष्कर्ष
अगर आपने ₹10 लाख या उससे ज़्यादा का नकद लेन-देन किया है, तो आपकी हर हरकत सिस्टम में दर्ज हो चुकी है। ऐसे में लापरवाही नहीं, सावधानी और दस्तावेजों की तैयारी ही आपको नोटिस और भारी टैक्स से बचा सकती है। याद रखिए, इनकम टैक्स विभाग अब सवाल नहीं करता वो डेटा दिखाता है। अब जवाब देना आपकी जिम्मेदारी है!