ITR 2025: अगर आपने National Savings Certificate (NSC) में निवेश कर रखा है और हर साल उस पर मिलने वाले ब्याज को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में नहीं दिखाते, तो सावधान हो जाइए। क्योंकि ऐसा करना आपको मुश्किल में डाल सकता है।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि बहुत से निवेशक NSC के ब्याज को तब दिखाते हैं जब वह मैच्योर होता है, लेकिन पोस्ट ऑफिस आपके ब्याज का ब्यौरा पूरे पांच साल का एक साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेज देता है। ऐसे में अगर आपने पहले से हर साल ब्याज को घोषित नहीं किया है, तो आपके AIS (Annual Information Statement) में दर्ज आंकड़ों से आपकी ITR में मिसमैच हो सकता है। और इस मिसमैच के कारण आप पर टैक्स नोटिस भी आ सकता है।
हर साल ब्याज नहीं दिखाया? अब भरना पड़ सकता है पुराना हिसाब
दिल्ली के टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आपने पहले साल NSC के ब्याज को ITR में नहीं दिखाया है और न ही सेक्शन 80C के तहत उसकी छूट ली है, तो अब अगले साल से ब्याज को accrual basis पर दिखाना शुरू कर सकते हैं।
हालांकि, पहली साल की ब्याज की रकम अब वापस नहीं जोड़ी जा सकती क्योंकि पुरानी ITR संशोधित नहीं की जा सकती। ऐसे में आपको अगली ITR में पहले साल का ब्याज भी जोड़ना होगा और नए साल का भी। ध्यान रहे कि NSC के परिपक्वता (maturity) वाले साल में उस ब्याज पर 80C की छूट नहीं मिलेगी।
AIS में लमसम ब्याज दिखा? घबराने की जरूरत नहीं
यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि अगर हमने हर साल ब्याज को अपनी ITR में दिखाया है, लेकिन पोस्ट ऑफिस ने पांचों साल का ब्याज एक साथ आखिरी साल में AIS में रिपोर्ट कर दिया, तो क्या ये डबल टैक्सेशन नहीं हो जाएगा?
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है। अगर कभी कोई नोटिस आया भी, तो आप टैक्स विभाग को समझा सकते हैं कि आपने हर साल उस ब्याज को घोषित किया था, लेकिन पोस्ट ऑफिस ने उसे एक साथ अंतिम साल में रिपोर्ट किया है।
किस आधार पर दिखाएं ब्याज?
Income Tax Act की धारा 145 के अनुसार, आप अपनी ब्याज आय को दो तरीकों से दिखा सकते हैं –
- Accrual Basis (Mercantile) – यानी हर साल जो ब्याज बना, वह उसी साल ITR में जोड़ा जाए
- Receipt Basis (Cash) – यानी जिस साल पैसे मिले, उसी साल दिखाएं
लेकिन आप दोनों को मिलाकर नहीं दिखा सकते। एक तरीका चुनकर उसी पर लगातार चलना जरूरी है।
बिना टैक्स लायबिलिटी वाले भी रहें सतर्क
भले ही आपकी सालाना आय टैक्स के दायरे में नहीं आती हो, लेकिन अगर आपके AIS में ब्याज की बड़ी राशि एक साथ दिखी और ITR में उसका कोई ज़िक्र नहीं हुआ, तो आपको स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
NSC जैसे बचत योजनाओं में ब्याज दिखाना एक गंभीर मामला है। मामूली चूक आपकी ईमानदार छवि को टैक्स विभाग के सामने संदेहास्पद बना सकती है। इसलिए सलाह है कि चाहे आपकी Income Tax योग्य हो या नहीं, हर साल ब्याज को सही ढंग से अपनी ITR में दिखाएं। पोस्ट ऑफिस की रिपोर्टिंग भले ही एक साथ हो, लेकिन आप अगर समय पर ब्याज दिखाते हैं, तो किसी भी नोटिस का जवाब देना आपके लिए आसान रहेगा।
कहने का मतलब साफ है – अगर NSC में है निवेश, तो ब्याज की हर किस्त रखें हिसाब से दर्ज, वरना तैयार रहिए टैक्स नोटिस के लिए!